' न मातु: परं देवतम् '
( माँ से बढकर कोई देवता नहीं है )
क्योंकि :
माँ
- चांद से महान है क्योंकि उसमें दाग है लेकिन माँ तेरा आँचल पाक है !
- सूरज से भी महान है क्योंकि उसमे आग है लेकिन माँ तेरी गोद में शीतलता है और सूर्य की भाँति प्रकाश फैलाती है, अंगुली पकडकर चलना सिखाती है!
- देवी से भी महान है जो दान के बजाय वरदान देती है !
- समुद्र से महान है क्योंकि उसका पानी खारा होता है लेकिन माँ तेरे आँचल का दूध मीठा ही होता है
- ब्रह्मा विष्णु महेश से भी महान है क्योंकि तीनों तेरे गर्भ में समाये है !
माँ जन्म ही नहीं जीवन भी देती है - एक शाश्वत जीवन !
अत: जननी व जन्म भूमि स्वर्ग से भी महान है !
1 comment:
विरले सपूत है जो माँ के दर्द को समझते है , आज समाज में अशांति क्यो6 है ? इसलिये कि आज नारी शक्ति का आदर नही है, उसे सिर्फ भोग्या या काम की मशीन ही मान लिया गया है जो कि हम सबकी बहूत बडी भूल है. क्योंकि शाश्त्रों में भी कहा है :
" यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:"
अर्थात जहाँ नारियों की रक्षा होती है उनका आदर होता है वहाँ देवता स्वयं निवास करते है ! वहां सुख,शांति और लक्ष्मी की कोई कमी नही रहती !
मैं वात्सल्य संरक्षण संगठन से अनुरोध करती हूँ अपने इस उत्तम सेवा कार्य को निरंतर जारी रखें, सारा समाज आपके साथ है! साधोवाद
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