माँ शब्द उच्चारते ही लब खुल जाते है, मानो कहाँ रहे हो,
लो दिन के दरिचे खुल गये, अब भावनाओं की गांठे खोल दो,
बहने दो मन को - माँ जो सामने है!
'माँ'- एक छोटे से शब्द में समाये पूरे संसार के, हर इंसान के अस्तित्व के, परवरिश, प्यार और विश्वास के प्रमाण का नाम है! ये नाम तो हर पल के, हर तार में धडकता है ! इसे एक दिन के लिये याद नहीं किया जा सकता क्योंकि किसी भी पल भुलाया ही नहीं जा सकता !
महसूस करके देखिये, माँ किस जादू का नाम है! वह हर पल उस शह से जुडी रहती है, जिसे जन्म दिया और उससे भी जिससे किसी और माँ ने जन्म दिया है ! सबसे टूट जाने, कट जाने के बहाने ढूंढती हमारी दुनिया में ऐसी शह की मौजूदगी आपको जादू से कम लगती है ? इसलिये तो आज खुद पिता बन चुके अपने बेटे के बचपन में बहे किसी आंसू के लिये भी वह खुद को जिम्मेदार मानती है ! आखिर वह माँ है - ताउम्र उस लम्हे का अफसोस मनाती है कि वह अपने बच्चे के आंसू पोंछ नहीं सकी !
कोई हो ही नहीं सकता माँ जैसा ! इसलिये तो हम सब सीर्फ इंसान है और हमारे बीच एज वही है जिसे ईश्वर अपना प्रतिनिधि बनाया है !
(सौजन्य से -मधुरिमा)