मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Sunday, March 30, 2008

मुनि तरुण सागर जी

माँ-बाप होने के नाते अपने बच्चों को
खूब पढाना-लिखाना और पढा-लिखाकर खूब
लायक बनाना ! मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वह
कल तुम्हे ही ' नालायक' समझने लगे.
अगर तुमने आज यह भूल की तो कल बुढापे में तुम्हें
बहुत रोना पछताना पडेगा! ये बात मैं इसलिये कय
रहा हूं क्योंकि कुछ लोग यह भूल जिंदगी मैं कर चुके
है और वे आज रो रहे है,
अब पछताने से क्या होत है जब चिडियाँ चुग गई खेत !
-----------

No comments:

वात्सल्य (VATSALYA-VSS) के बारे में-

Join the Mailing List
Enter your name and email address below:
Name:
Email:
Subscribe  Unsubscribe 

आईये हमसे लिखित में बातचित कर ले !

Free Java Chat from Bravenet.com Free Java Chat from Bravenet.com