मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Wednesday, May 7, 2008

वो नाच


वो नाच

एक जाने माने संगीतकार थे ! उन्हे एक अजीब सा शगल था, कहीं जंगल में तन्हाई में जा बैठ तबला बजाना ! एक बार देखते है, जैसे ही उन्होने जंगल में तबला बजाना प्रारम्भ किया, तबले की आवाज सुनकर बकरी का एक नन्हा सा बच्चा दौड कर आ गया! जैसे-जैसे संगीतकार तबला बजाते , वह कूद-कूद कर नाचता जाता ! फिर तो ये हमेशा का क्रम हो गया, संगीतकार तबला बजाना और उस मेमने का उछलना, नाचना !

एक दिन उस तबला वादक से रहा नहीं गया, उन्होने उस मेमने से पूछा- 'क्या तुम पिछले जन्म के कोई संगीतकार हो या फिर संगीत के मर्मज्ञ, जो शास्त्रीय संगीत का इतना गहरा जानकारी रखते हो,! तुम्हे मेरी राग-रागिनियों की पेचिदगियां कैसे समझ में आ जाती है?'

उस मेमने ने कहा,-' आपके तबले के उपर मेरी मां का चमडा मढा है! जब भी इससे ध्वनि बहती है, मुझे लगता है जैसे मेरी मां प्यार और दुलार भरी आवाज से मुझे पुकार रही है और मैं खुशी से नाचने लगता हूँ...!'


~~~~~~~~~~ माँ ! मेरी माँ ! ~~~~~~~~~

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