मातृत्व
बात उस समय की है जब नार्वे की सुप्रसिद्ध रचनाकार
श्रीमती सिग्रिड अनसेट को नोबेल पुरुस्कार मिलने की सूचना मिली थी!
खबर फेलते देर कहाँ लगती ? पत्रकारों का झुण्ड उनके घर आ धमका !
श्रीमती सिग्रिड ने अत्यंत विनम्र भाव मे पत्रकारों से कहा - पधारने के लिये आप
सभी को धन्यवाद और आभार ! पर खेद है, आप सभी से हमारी मुलाकात कल सुबह होगी~'
'ऐसा क्यों?'
क्या आप पुरस्कार पाकर प्रसन्नता का अनुभव नही कर रही है?
एक पत्रकर ने जानना चाहा.
पुरस्कार पाकर में बेहद खुश हूँ , पर एक माँ होने के नाते अभी-अभी सोये
बच्चे के साथ रहना मैं ज्याद जरूरी समझती हूँ, कृपया माँ की भवानाओं को समझें !
अन्यथा न लें, असुविधा के माफी चाहुंगी ! और ऐसा कह कर वे अपने कमरे की तरफ चली गई !
~~~~ माँ की महिमा कौन जानें ?~~~~
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