मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Wednesday, May 7, 2008

मातृत्व


मातृत्व

बात उस समय की है जब नार्वे की सुप्रसिद्ध रचनाकार

श्रीमती सिग्रिड अनसेट को नोबेल पुरुस्कार मिलने की सूचना मिली थी!

खबर फेलते देर कहाँ लगती ? पत्रकारों का झुण्ड उनके घर आ धमका !

श्रीमती सिग्रिड ने अत्यंत विनम्र भाव मे पत्रकारों से कहा - पधारने के लिये आप

सभी को धन्यवाद और आभार ! पर खेद है, आप सभी से हमारी मुलाकात कल सुबह होगी~'

'ऐसा क्यों?'

क्या आप पुरस्कार पाकर प्रसन्नता का अनुभव नही कर रही है?

एक पत्रकर ने जानना चाहा.

पुरस्कार पाकर में बेहद खुश हूँ , पर एक माँ होने के नाते अभी-अभी सोये

बच्चे के साथ रहना मैं ज्याद जरूरी समझती हूँ, कृपया माँ की भवानाओं को समझें !

अन्यथा न लें, असुविधा के माफी चाहुंगी ! और ऐसा कह कर वे अपने कमरे की तरफ चली गई !


~~~~ माँ की महिमा कौन जानें ?~~~~

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